सांगली जिल्ह्यातील ’देवराष्ट्रे’ गावाबाबत काही...
’देवराष्ट्रे’ हे सांगली जिल्ह्यातल्या छोटया गावाचे नाव तसे परिचित होते. यशवंतराव चव्हाणांचे तसेच रमाबाई रानडे ह्यांचे हे जन्मगाव. गावाच्या नावाबाबत जरा कुतूहल होते कारण इतके जवळजवळ संस्कृत भाषेतील वाटावे असे नाव महाराष्ट्रात तरी दुर्मिळ वाटते. ह्या गावच्या जुनेपणाविषयीहि कोठे काही ऐकलेले वा वाचलेले नव्हते.
कालपरवा असे ध्यानात आले की अलाहाबाद किल्ल्यामध्ये असलेल्या स्तंभावर जो समुद्रगुप्ताचा म्हणून दीर्घ कोरीव लेख आहे त्यात ’देवराष्ट्र’ नावाच्या नगराचा आणि तेथील ’कुबेर’नामक राजाचा उल्लेख आहे. लेखाच्या १९व्या आणि २०व्या ओळीत समुद्रगुप्ताच्या दक्षिणेतील मांडलिक राजांची नावे आहेत. ती अशी:
कोसलमहेन्द्र-महाकान्तारकव्याघ्रराज-कैरालकमण्टराज-पैष्टपुरकमहेन्द्र-गिरिकौटूरकस्वामिदत्तै-रंडपल्लकदमन-काञ्चेयकविष्णुगोपा-वसमुक्तकनीलराज-वैङ्गेयकहस्तिवर्म-पालक्कोग्रसेन-दैवराष्ट्रकुबेर-कौस्थलपुरकदनञ्जय-प्रभृतिसर्वदक्षिणापथग्रहणमोक्षानुग्रहजनितप्रतापोन्मिश्रमहाभाग्यस्य...
(कोसलाचा महेन्द्र, महाकान्ताराचा व्याघ्रराज, केरलाचा मण्टराज, पिष्टपुराचा महेन्द्र, गिरिकौटूराचा स्वामिदत्त, एरंडपल्लकाचा दमन, कांचीचा विष्णुगोप, अवसमुक्ताचा नीलराज, वेंगीचा हस्तिवर्मन्, पलक्काचा उग्रसेन, देवराष्ट्राचा कुबेर, कुस्थलपुराचा धनंजय, दक्षिणापथातील ह्या राजांना जिंकण्याच्या आणि पुन:प्रस्थापित करण्याच्या प्रतापामुळे ज्या (समुद्रगुप्ताला) मोठे भाग्य प्राप्त झाले...) (Corpus Inscriptionum Indicarum: Vol. III. पृ. १०-१७).
जालावर अधिक शोध घेता असे दिसले की देवराष्ट्रे गावात बरीच प्राचीन देवालये आहेत. तेथील सागरेश्वर अथवा समुद्रेश्वर हे शंकराचे देऊळ विशेष प्रसिद्ध आहे आणि त्याच नावाने गावाजवळ एक अभयारण्य निर्माण करण्यात आले आहे. महाराष्ट्र गॅज़ेटीअर विभागाच्या ह्या स्थळावर गावातील देवळांची आणि जवळच्या लेण्यांची बरीच माहिती आहे. महाभारताशी जोडलेली समुद्रेश्वराच्या बांधणीची कथाहि तेथे वाचावयास मिळते.
बराच शोध घेतल्यावर येथे मला सागरेश्वर नावाच्या देवळाचे फोटो मिळाले पण देवराष्ट्रेमधील सागरेश्वर हेच का ते मी सांगू शकत नाही कारण वेंगुर्ल्याजवळहि ह्याच नावाचे देऊळ आहे. फोटोतील देऊळ आसपासच्या वातावरणावरून कोकणातील आहे असे वाटत नाही इतके नमूद करतो.
हे सर्व पाहून मला अशी शंका येत आहे की दक्षिणापथातील समुद्रगुप्ताने मांडलिक केलेला कुबेर आणि त्याचे देवराष्ट्र नगर हे आजचे देवराष्ट्रे असू शकेल काय? तसेच समुद्रेश्वर हे देवळाचे नावहि कुबेरानेच आपला सम्राट् समुद्रगुप्त ह्याच्या नावावरून दिले असावे. अन्यथा समुद्रापासून बरेच दूर सह्याद्रीच्या रांगेच्या पूर्वेस असलेल्या ह्या गावात समुद्राच्या नावाचे देऊळ असण्याचे कारण काय?
जालावर अथवा अन्य कोठेच मला समुद्रगुप्ताच्या लेखातील ’देवराष्ट्र’ आणि आजचे ’देवराष्ट्रे’ ह्यांच्यामध्ये संबंध जोडलेला दिसत नाही पण त्याचे कारण सहजच सुचते. गुप्त राजांच्या अनेक कोरीव लेखांपैकी एकामध्ये कोठेतरी मधोमध हे नाव दडलेले. देवराष्ट्रे गावहि आज छोटे खेडेच आहे आणि यशवंतरावांचा तेथे जन्म झाला नसता तर अन्य शेकडो-हजारो खेड्यांप्रमाणे तेहि दुर्लक्षितच राहिले असते. त्यामुळे सर्व भारतभर पसरलेल्या जुन्या लेखांच्या अभ्यासकांमध्ये अलाहाबादच्या समुद्रगुप्ताच्या लेखात हे नाव दिसताच डोक्यात टयूब पेटावी आणि हा सांधा जोडला जावा असे काहीच कारण नाही.
कोणा अन्य जाणकाराला ह्याविषयी काही अधिक माहिती असल्यास ती जाणून घेण्याची इच्छा आहे.
Comments
थोडी गल्लत!
'Split summery' हा प्रकार नीट ध्यानात न आल्याने पूर्ण लेखच मुखपृष्ठावर जाऊन बसलेला दिसतो आणि आता त्यात काही दुरुस्ती करता येत नाही! क्षम्यताम्!
देवराष्ट्रेमधील सागरेश्वर
मी सागरेश्वरला अनेकदा गेलेलो आहे. तुम्हि दिलेल्या दुव्यावर बघुन ति देवराष्ट्रेमधील सागरेश्वर देवळाचे फोटो नक्किच नाहीत कारण फोटो क्र ४,६,७ व १० हे दुसर्या देवळाचे फोटो आहेत. सागरेश्वरला अभयाअरण्य करण्यचा प्रयत्न झाला होता
देवराष्ट्रे - देशातील पहिले मानवनिर्मित अभयारण्य असलेल्या सागरेश्वर अभयारण्याला "अ'वर्ग पर्यटनस्थळाचा
दर्जा देणार असल्याचे वनमंत्री पतंगराव कदम यांनी सांगितले अशी बातमी सकाळ मध्ये आली होती.(www.esakal.com/esakal/20110913/5326673397694202278.htm /). सागरेश्वर अभयारण्याचे शिल्पकार वृक्षमित्र धोंडिराम महादेव मोहिते हे होत. त्यांच्याबद्दलची माहिती http://www.mimarathi.net/node/6994 येथे आहे.
सागरेश्वराचे देउळ कराड किर्लोस्करवाडी रेलवे मार्गावरील शेणोली स्टेशनच्या मागे दिसते.
वर दिसणारा फोटो
हा कुतुबमिनार जवळील लोहस्तंभाचा आहे. त्याचे नाव अशोकन पिलर असे आहे
संदर्भासाठी हे बघावे. http://en.wikipedia.org/wiki/Iron_pillar_of_Delhi
अलाहाबाद पिलर हा असा आहे. त्यालाही अशोक पिलर असे नाव आहेच.
हम्म!
कल्पना नाही. लेखातील चित्र मात्र कुतुबमिनाराजवळच्या लोहस्तंभाचे आहे हे निश्चित.
सागरेश्वर
मला वरच्या दुव्यावरची काही छायाचित्रे सांगली जिल्ह्यातल्या सागरेश्वराची वाट्ली. तिथे अभयारण्य आहे, (मी साधारन दहा वर्षांपूर्वी पाहिलं असावं) पण तेव्हाही त्याची दुर्दशाच वाटली होती. तिथे एक मंदिर नसून मंदिरांचा समूह आहे. प्रत्येक ठिकाणी जवळपास भग्न झालेलं शिवलिंग्/नंदी किंवा काही मूर्त्या होत्या. सुस्थितीत असावं असं काहीच आता लक्षात नाहीय
थोडा गोंधळ
माझाहि थोडासा गोंधळच होत आहे असे वाटते कारण अलाहाबाद, लौरिया नंदनगढ आणि फिरोजशाह कोटलामधील स्तंभ ह्यांच्या चित्रांमध्ये वेगवेगळी संस्थळे गल्लत करतांना दिसतात. ह्याचा नीट अभ्यास करून मी परत उत्तर देईन.
अलाहाबादचा म्हणून मी दाखविलेला स्तंभ खरा अलाहाबादचा नसून कुतुबमिनार परिसरातील आहे हे मला आता दिसत आहे. दुरुस्तीबाबत आभार.
एव्हढे निश्चित की कुतुबमिनार परिसरात जो स्तंभ आहे तो स्तंभच असला तरी अशोकाचा नाही. तो स्तंभ मी पाहिला आहे. माझ्या वाचनानुसार त्याच्यावरील जो सहा ओळींचा लेख आहे तो 'चन्द्राह्व' (ज्याला 'चन्द्र' म्हणून संबोधितात) अशा राजाने कोरला आहे आणि तो राजा म्हणजे गुप्तवंशीय चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य होय. तो स्तंभ सुलतान इल्ततमशने १३व्या शतकात स्तंभाचे मूळ स्थान उदयगिरि येथून आणून कुव्वत-उल-इस्लाम ह्या मशिदीमध्ये उभारला तेथे तो आजतागायत तसाच आहे.
मतमतांतरे आणि अदृश्य इतिहास
जालावर शोधले असता, प्रस्तुत लेखातील समुद्रगुप्त स्तंभावरील 'देवराष्ट्रे' या उल्लेखाबाबत अधिक माहिती येथे मिळाली :
1. Devarastra (No. 1, L.20) :
It has been mentioned as ruled by Kubera one of the kings ruling in Southern Region who were subdued by Samudragupta. Dey identifies it with the Maratha country (i.e. Maharastra). Fleet and Smith are also of the same opinion. G. Ramdas slightly differs from them when he identifies Devarastra with
modern Devagiri in the Dharwar district. According to R.D. Banerjee, Devarastra is the name of a district or province in Kalinga. B.C. Law identifies it with Yellomanchili taluka of the Vizagapatam district, which is also the view of H.C. Ray- chaudhuri, S.B.Chaudhuri, Dubreuil and Bhandarkar. This
view is generally accepted at present. Earlier scholars held that Samudragupta made a round of the South crossing from the eastern to the western coast of India. But this involves serious difficulties about his potential relations with the Vakatakas. Now, scholars describe southern campaign of Samudragupta
as confined to the eastern coast. Thus it becomes apparent that Devarastra was conterminous with Kosala (Sirpur). Tamralipti may have been included in Devarastra.
अर्थातच तज्ञांची या 'देवराष्ट्रा'बाबत अनेक मतांतरे आहेत. देवराष्ट्रे या गावात आणि आजूबाजूच्या परिसरात काही उत्खनन झाले तर हेच ते देवराष्ट्र असे विधान ठामपणे करता येईल अथवा नाकारता येईल.
पुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनःपुनः
देवराष्ट्रेमधील सागरेश्वर
वाचता वाचता हा दुवा मिळाला
http://www.maayboli.com/node/10993
या दुव्यात असे म्हणले आझे की काही विद्वानांच्या मते एरंडपल्ली व देवराष्ट्र ही दोन्ही स्थळं महाराष्ट्रात नसून तामिळनाडूत आहेत.